Thursday, August 27, 2009

कोई मिस तो नही कर रहा...

आज सुबह ही एक मिस कॉल आया...पिछले कई दिनों से इन मिस कॉल से परेशान हूँ.....वैसे मैंने पेपर में कुछ दिनों पहले ही पढ़ा था कि एक सर्वे के अनुसार भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ लोग एक-दूसरे को मिस कॉल देते हैं....अन्य किसी भी देश में लोग मिस कॉल नही करते......वैसे मैंने कई लोगों से सुना है कि कई दोस्तों की भी मिस कॉल की भाषा होती है...जिससे वे आपस में हाँ-न आसानी से समझ लेते हैं...बिना पैसे लगाये...शायद ये अच्छा भी हो...यहाँ तक तो बात फ़िर भी ठीक है,लेकिन कई बार लोग अपना पैसा बिल्कुल भी खर्च नही करना चाहते और हर वक्त मिस कॉल ही करते हैं....यहाँ एक चुटकुला याद आ रहा है..."एक कंजूस के घर आग लग गई.....और उसने अपना पैसा बचाने के लिए फायर ब्रिगेड वालों को भी मिस कॉल किया...लोगों के पूछने पर उसने कहा कि जब फायर ब्रिगेड वाले कॉल करेंगे तो उन्हें आग के बारे में भी बता दूँगा..."

जो भी हो भारत मिस कॉल के मामले में दुनिया में सबसे आगे होगा...सोचा ना था....

Tuesday, August 4, 2009

ये बंधन है कैसा....?

"रश्मि बेटा!बड़ी मौसी के घर भी राखी भेज दी है न...?
"नही माँ!तुम्हे याद नही है...भइया ने मुझे दो सालों से कभी कोई गिफ्ट ही नही भेजी...मैं ही कितने सालों राखी भेजती रहूँ ?...जब उन्हें गिफ्ट देना याद ही नही रहता..."
"रश्मि!ये कैसी बातें कर रही हो तुम...?हम राखी गिफ्ट के लिए नही बांधते...ये तो एक पवित्र बंधन है....गिफ्ट तो केवल शगुन होता है....वास्तव में तो ये एक रक्षा का वचन है.....जब द्रौपदी ने श्री कृष्ण की कलाई की चोट पर अपने आँचल का टुकडा बांधा था...तो उसने बदले में कुछ भी पाने की इच्छा नही की थी....वो तो उनका निस्वार्थ प्रेम था....फ़िर भी उसकी जरूरत के समय श्री कृष्ण ने उसकी मदद की..."
"लेकिन माँ....मैं उस जमाने की नही हूँ...."
"जानती हूँ....लेकिन भाई-बहन का प्यार तो उस जमाने से आज तक वही है..न...जब भी तुम्हे किसी चीज़ की जरूरत होती है...वो तुम्हे बिना मांगे ही तुम्हारे भाई लाकर देते है...तुम कभी भी परेशान हुई..तो उसे भी तुम्हारे भाइयों ने दूर किया...फ़िर भी तुम केवल गिफ्ट के बारे में सोचकर राखी बांधो..ये तो सही नही है न..."
"माँ!तो क्या मुझे उनसे कोई गिफ्ट नही लेनी चाहिए..."
"अरे पगली....मैंने ये तो नही कहा...भाई जो प्रेम से दे..उसे उतने ही प्रेम से लो...लेकिन कभी गिफ्ट के लिए अपने भाइयों से ये प्यारा बंधन न तोड़ना...समझीं...."
"समझी...माँ!अगर आज भी राखी भेजूगी तो समय पर मौसी को मिल जायेगी...मैं पहले ये काम करके आती हूँ....और हाँ..थैंक यू माँ..मुझे राखी का महत्त्व समझाने के लिए...."

जानती हूँ इस कहानी से कई बहनों को बुरा लग सकता है...लेकिन इसकी प्रेरणा भी एक बहन से ही मिली है.मैं राखी लेने के लिए गई थी..और अपने भाइयों के पसंद के हिसाब से राखियाँ निकालने में जुटी थी.....मम्मी से काफ़ी राय भी ले रही थी...तभी एक लड़की आई..और कुछ राखियाँ यूँही उठाकर मुझसे बोली..."इतनी मेहनत क्यूँ कर रही है...यार..मतलब तो गिफ्ट पाने से है..जो भी राखी बांधो,गिफ्ट तो मिलेगा ही..."
एक बार तो मुझे लगा कि मैं उसे अच्छा सा जवाब दे दूँ...लेकिन ऐसा करने से पहले ही मुझे विचार आया...कहीं न कहीं हम सभी के मन में ये बातें तो है न....उसने इसे यूँ ही बोल दिया..हम अपने भाइयों कि पसंद कि सारी चीजें करते हैं...लेकिन गिफ्ट कि चाह तो हमारे मन में होती ही है...

कोई बुरी सी लगने वाली बात हमारे भीतर भी जागने कि कोशिश कर रही है....क्या हम भी कभी गिफ्ट के लिए अपने भाइयों का प्यार भूल जायेंगे...नही...आज से ही हम सभी बहनों को ये प्रण लेना चाहिए कि "हम अपने भाइयों के लिए अपने अन्दर एक निस्वार्थ प्रेम जगाएँगी..."हम सभी कह सकती हैं कि हम अपने भाइयों से ऐसा ही प्रेम करती हैं...लेकिन एक बार ईमानदारी से सोचिये ये लालच तिल जितना ही सही.....हमारे अन्दर है...

एक बहन होकर भी कभी इस तरह की बातें लिखूंगी और बहनों का दिल दुखाउंगी....सोचा ना था....

Sunday, August 2, 2009

सच के साईड इफेक्ट्स

पिछले कुछ दिनों से न्यूज़ चैनल "सच का सामना"रियलिटी शो को बंद करवाने के लिए मचे बवाल के न्यूज़ से भरा रहा...आखिरकार इसे जारी रखने की मान्यता मिल ही गई.....सोचने की बात तो ये है कि क्या ये इतना बड़ा मुद्दा था...जिसे मंत्रालय में उठाया गया...?.....देखा जाए तो इससे भी कहीं अधिक गंभीर मुद्दों पर तो आज तक नजर भी नही डाली गई है...सूर्य ग्रहण के दिन विकलांग बच्चों को जमीन में गाड़ा गया....सरेआम एक महिला के साथ छेड़छाड़ हुई....और भी ऐसे कई मामले तात्कालिक थे..जिन पर विचार ज्यादा जरूरी थे....बजाय एक रियलिटी शो में पूछे जाने वाले बोल्ड सवालों पर टिप्पणी के.....

आज सभी के हांथों में रिमोट होता है....और लाखों चेनलों की भीड़ में हर एक अपने मन मुताबिक शो देखता है....हर व्यक्ति अपने पसंद के सीरियल देखता है उसपर कोई दबाव नही है कि उसे क्या देखना है और क्या नही...ये उसकी अपनी पसंद होती है.....हो सकता है जो शो किसी को रत्ती भर पसंद न हो वह किसी और का पसंदीदा शो हो.....हमने ऐसे भी कई शो देखें हैं जो जनता के कम सपोर्ट कि वजह से एक-दो हफ्तों में ही नौ दो ग्यारह हो गए.......तो क्यूँ न ये फ़ैसला भी जनता का ही हो....अगर अधिकाँश जनता इसके विरुद्ध होगी तो ये वैसे ही बंद हो जायेगा....

इस शो को बंद करने का मुद्दा उठाते हुए ये कहा गया था कि इससे भारतीय सभ्यता बिगड़ रही है.....उन सभी को क्या ये बात नही दिखाई दे रही कि जो प्रतियोगी आ रहे है और भारतीय सभ्यता के विरुद्ध पूछे गए सवालों का जवाब हाँ में दे रहे हैं....वे तो पहले ऐसा कोई शो नही देखे थे बिगड़ने के लिए....या देख कर भी बिगडे हो तो भी उस वक्त तो हमारे देश में ऐसे शो नही थे.....अगर किसी को बिगड़ना है तो उसे आप रोक नही सकते...कम से कम दबा कर तो नही.....प्यार से काम जरूर हो सकता है....

एक सवाल ये भी उठाया गया की लोग पैसों की वजह से सच बोलने आ रहे हैं.....तो इसमे बुरा क्या है..?कोई सच बोलना चाहता है...फ़िर भले ही लालच में ही क्यूँ न बोले...?...मेरा भी मानना है कि कई बार प्रश्न ऐसे होते है कि उनके जवाब से व्यक्ति का जीवन बरबाद हो सकता है...लेकिन ये तो प्रतियोगी के ऊपर होता है..उस पर कोई दबाव नही होता..वो जब चाहे खेल छोड़ सकता है....इस बात में आप और हम सवाल क्यूँ उठाएं जब कोई व्यक्ति अपनी मर्ज़ी से कोई काम कर रहा है...

मेरा तो यही मानना है की समय के हिसाब से सभी को बदलना चाहिए...कोई भी सभ्यता इतनी कमजोर नही होती की उसे इतनी आसानी से बिगड़ना सम्भव हो...समलैंगिकता को भी मान्यता मिलने पर इसी तरह का बवाल उठा....उन्हें मान्यता हाल ही में मिली है...लेकिन वे तो बरसों से ऐसे ही जी रहे हैं...मान लीजिये की फ़िर से समलैंगिगता को गैर कानूनी करार दे भी दिया जाए तो क्या परिस्थिति सुधर जायेगी...?....ऐसा कुछ नही होगा....तो क्या ये सही नही है की जो जैसे जीना चाहता है उसे वैसे ही जीने दिया जाए...?समाज बदल रहा है..क्यूंकि लोग बदल रहे हैं....आज तो हमारी कई मान्यताएं भी बदलने लगीं हैं....इसमे बुराई भी क्या है?......जीवन में बदलाव जरूरी है.....ऐसा तो हर बार नही हो सकता न की जो आपको पसंद न हो उसे दुनिया भी पसंद न करे....कई बार तो ये विरोध आपको अपने घर में भी मिल सकता है.....इसलिए सच्चाई से साक्षात्कार करें....

राजा हरिश्चंद्र के इस भारत में सच बोलने पर इतने सवाल उठेंगे......सोचा ना था....