Monday, January 2, 2012

हर बदलाव ज़रूरी होता है


जब आप किसी जगह बहुत दिनों तक रहते हैं तो आपको उस जगह की आदत सी पड़ जाती है और जब वहां से दूर रहना पड़ता है या उस जगह को छोड़ना पड़ता है तो ऐसा लगता है जैसे हम अपना एक हिस्सा छोड़ रहे हैं....ये इंसान की एक अजीब-सी आदत है वो अपने आसपास की चीजों से....लोगों से....इतना जुड़ जाता है की उसे उनसे दूर होने का ग़म इतना होता है कि वो अपने लक्ष्य और रास्ते से भी भटक जाता है.....उसे कुछ समझ ही नहीं आता कि वो क्या करे....?क्या न करे...?
पर क्या यही कुदरत का नियम नहीं है...वो तुम्हे हमेशा उन चीजों और जगहों से दूर करता है जिससे दूर होने का डर हमेशा आपको होता है....जिन्हें आप छोड़ना नहीं चाहते आपको उनसे दूर होना पड़ता है....और हम सिर्फ दुःख मानते हैं कि ऐसा क्यूँ हुआ...?या मेरे साथ तो हमेशा ऐसा ही होता है....!!पर सच्छी तो ये है कि हम सभी को दूर के ढोल सुहावने लगते हैं...जब तक वो पास न आयें हम उनकी थापों में खोये रहते हैं और उनके पास आते ही हम वापस जाना चाहते हैं...पर वो रास्ते अब हमारे लिए खुले नहीं होते....
तो क्या करना चाहिए....?क्या बीती बातों को याद करके कभी कोई जी सका है जो हम वही करने की कोशिश करते हैं....भला तो यही है कि आगे आने वाली बातों को अपनाते चलें....क्यूंकि ये भी तो सच है न कि जो भी होता है वो अच्छे के लिए होता है....और सच्चाई को जितनी जल्दी स्वीकारा जाये उतना ही अच्छा है....हम क्या सोचकर घबराते हैं....?यही न कि हम अपनों से दूर हो जायेंगे लेकिन ऐसा नहीं है...ये दूरियां ही हमें अपनेपन का अहसास कराती हैं...जब तक हम अपनों के पास होते हैं हमें उनकी अहमियत का अंदाज़ा नहीं होता लेकिन जब हम उनसे दूर होते हैं तभी हमारे रिश्तों में वो मजबूती आती है...जो हमें अपनों से हमेशा जोड़े रखती है....
इसलिए दूरियों से मत घबराओ....ये किसी रिश्ते को नहीं बिगाड़ सकती जब तक हम न चाहें....रही किसी जगह के पॉज़िटिव या निगेटिव होने की बात...तो अगर इंसान चाहे तो किसी भी जगह को पॉज़िटिव बना सकता है....सिर्फ अपनी सोच के जरिये....

तो हर आने वाले बदलाव को स्वीकारिये और सकारात्मक सोच से हर परिस्थिति का सामना करें....और हर बदलाव को यूँ स्वीकार करें जैसा सोचा न था....