Sunday, April 14, 2019

कहानियों की कहानी


कहानियों की हालत बहुत ख़राब है..

किसी के सिर में दर्द है तो किसी के पीठ में...किसी को भावनाओं की ड्रिप चढ़ी हुई है तो कोई बिस्तर पर पड़ी कराह रही है। किसी की धड़कनें मद्धम है तो बाहर उसके इंतज़ार में खड़ी कहानियाँ एक-दूसरे के गले लग आँसू बहा रही हैं। सिर पीटती और ज़ोरों से रोती एक कहानी मेरे बाज़ू में बैठ गयी..उसे धीरज बँधाऊँ या चुप रहूँ सोच ही रही थी कि उसके किरदार ने आकर मुझे परे खसकने का इशारा कर दिया। खिसकते हुए दूसरी कहानी से टकरा गयी..उसने बुझी-सी मुस्कान फेंकी..चोटिल थी, लँगड़ाकर चल रही थी। 

एक कहानी बिस्तर पर किरदारों का इंतज़ार कर रही है..एकमात्र किरदार भी जाने कहाँ चला गया फ़ोन भी छोड़ गया है यूँ ही लावारिस। दो दिन से रूठा-रूठा घूम भी रहा था। उधर दो दिन से ख़स्ता हाल पड़ी कहानी बार-बार निकल भागने को आतुर है...आ-आकर बाक़ी कहानियों का हाल पूछती है और बाक़ी कहानियों पर ससपेंस की परत चढ़ रही है। कुछ किरदार बाहर बैठकर किसी कहानी में जुड़ जाने के इंतज़ार में हैं...तो कुछ अपनी कहानी से निकल भागने को बेक़रार।

इसी बीच एक कहानी ने दम तोड़ दिया उसके किरदारों के बीच अपने भविष्य को लेकर चिन्ताएँ जाग उठीं हैं। कुछ कहानियाँ बिना किरदारों के अचानक बड़ी हो गयी हैं। सोचा ना था....
कभी कहानियों का ये हाल होगा...