Sunday, August 15, 2010

दुआओं से देशभक्ति...दवा नहीं तो दुआ सही

आज स्वतंत्रता की ६३ वीं वर्षगांठ है.....हम सभी भारतियों के लिए ये एक ख़ुशी का मौका है.....आज मैं ये सोच रही थी कि मैंने अपने जीवन के इतने सालों में देश के लिए क्या किया...?....शायद कुछ नहीं...या अगर कुछ किया भी हो तो वो उंट के मुह में जीरे के बराबर...हम सभी (ये आप के ऊपर है कि आप इसमें शामिल होना चाहते हैं या नहीं) रहते तो देश में हैं लेकिन सोचते....सिर्फ अपने भले की है.....हमारी देश भक्ति २६ जनवरी और १५ अगस्त को ही नींद से जागती है....और ध्वजारोहण,भाषण,देशभक्ति गीत के बाद मिष्ठान खाकर वापस अगली तारीख तक सो जाती है.....देश तरक्की नहीं कर रहा....इस बात से सभी को परेशानी है...लेकिन उसे तरक्की की राह पर लाने का बीड़ा हम दूसरों के कन्धों पर ही डालना चाहते हैं....यहाँ का हर नेता भ्रष्टाचारी है...बेईमान है...इस देश का कुछ नहीं हो सकता....ये बात अलग-अलग तरह से मैंने कई मुह से सुनी है...जिनमे से कई मुह युवा थे तो कई वृद्ध..बच्चे भी ये बातें कहते दिखते हैं...ऐसा नहीं है कि ये बात पूरी तरह से गलत है....लेकिन गलत ये है कि जो ये बात कह रहे हैं उन्होंने देश के लिए क्या किया....?.....जब उन्होंने देश के लिए कुछ नहीं किया और न ही करना चाहते हैं...तो उन्हें ऐसी कोई भी बात कहने का कोई हक़ नहीं....जैसे अगर आपने मतदान नहीं किया तो आप मतदान करने वालों को गलत नेता चुनने के लिए दोषी नहीं ठहरा सकते...क्यूंकि आप आप मतदान न करके उनसे कहीं ज्यादा दोषी हैं...

खैर...यहाँ मेरा मकसद देश के गुनाहगारों को खोजना नहीं है...मैं बस ये कहना चाहती हूँ...कि अपनी जिंदगी में देश के लिए कुछ तो करो...जो कर रहे हैं उइन्हे सलाम करके आप देश के लिए कुछ नहीं कर रहे...मुझे लगता है..हम सभी देश के लिए दवा नहीं तो कम से कम दुआ तो कर ही सकते हैं....हम भारतीय साल में कम से कम ५-६ बार तो भगवान् से प्रार्थना करते ही हैं...(ये मैंने नास्तिकों की बात की..वो ये अप्रत्यक्ष रूप से करते हैं...)...और ज्यादा से ज्यादा दिन में ५-६ बार....क्या कभी भी आपने अपनी प्रार्थना में देश के लिए कुछ माँगा....?....सोचिये....?....नहीं...हमने हमेशा अपने और ज्यादा से ज्यादा अपनों के लिए प्रार्थना की...मैं ये कहना चाहती हूँ कि क्यूँ न आज से हम सभी एक आदत डालें कि हम अपनी प्रार्थनाओं में देश की प्रगति और तरक्की के लिए भी स्थान बनायेंगे....यकीं मानिये इससे भी काफी असर होगा....और एक दिन में देश के लिए कम से कम भी करोड़ों लोग प्रार्थना करेंगे....यही नहीं अगर आप किसी भी प्रसिद्ध मंदिर,मजार,गुरूद्वारे या चर्च जाएँ तो वहाँ भी देश के नाम से मन्नत मांगें...इसमें भी आपका और आपके अपनों का ही भला है.....अगर देश उन्नतशील होगा तो वहाँ की जनता भी तो तरक्की करेगी...

बस...आज से ये अच्छी आदत डाल लें...देश के लिए प्रत्यक्ष रूप से कुछ कर सकें तो बहुत ही अच्छी बात है....लेकिन जो देश के लिए कुछ न कर पाए तो कम से कम अपनी प्रार्थनाओं और दुआओं में देश की तरक्की की कामना तो कर ही सकता है...और ऐसा करके आप अपनी देशभक्ति को भी जागृत रख सकते हैं..बिना किसी तारीख का इंतज़ार किये....अपनी सीमित दुआओं को असीमितता की स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए आज से बेहतर कौन सा दिन हो सकता है....पहले मैंने भी अपने देश के लिए कोई प्रार्थनाएं नहीं की...हमेशा मन में एक टीस रहती थी कि मैं देश के लिए कुछ नहीं कर पा रही..फिर इस साल फतेहपुर सीकरी में धागा बाँधते हुए ही मुझे ये विचार आया....

देश के लिए दवा नहीं तो दुआ ही सही...पहले इस बारे में कभी...सोचा न था....



Monday, August 9, 2010

"कुछ" तो कुछ होता है...

१ महिना होने को आया और मैंने कुछ भी नहीं लिखा....ये कुछ आश्चर्य-सा है.....लेकिन करूँ भी तो क्या...?...कभी कुछ सूझता नहीं...और सूझता तो नेट पास नहीं.....वैसे इन दिनों अपनी "वॉईस-ओवर" ट्रेनिंग में थोड़ी व्यस्त-सी थी....समय तो मिलता है..पर विचार नहीं...अगर मैं कोई प्रोफेशनल लेखिका होती,तो शायद मेरे घर में खाने के लाले पड़ जाते.....लेकिन भगवान् शिव की कृपा से ऐसा है नहीं....मैं तो अब भी अपने प्रोफेशन की तलाश में हूँ...इन दिनों मैं यही सोचती रही कि लिखूं तो क्या॥?

आख़िरकार आज मैंने ठान लिया कि 'कुछ' तो लिखना ही है...अब इस 'कुछ' की तलाश करूँ....देशभर में बारिश हो रही है...बाढ़ आ गई है...बिहार में सुखा पड़ा है...हाँ...इस बारे में लिखा जा सकता है...पर दूसरों के घावों को कुरेदना अच्छा नहीं है...तो अब..?..........हाँ..."कॉमन वेल्थ गेम्स" की तैयारियों में जो धांधली चल रही है....ऑस्ट्रेलिया की कम्पनी को स्पोंसर जुगाड़ने के लिए कमीशन के रूप में मोटी रकम दी जा रही है...जबकि उन्होंने कोई काम ही नहीं किया...विषय तो अच्छा है,लेकिन अब तो इस पर कार्यवाही भी शुरू हो गई...मतलब हम अब भी वहीँ हैं....बिना विषय के....अब मैं क्या करूँ...?

१५ अगस्त आ रहा है....लेकिन हमारे लिए तो वही १४ और वही १५....बस टी.वी. पर परेड देख लेते हैं...अब इस पर क्या लिखें...?.....नयी फिल्मों के बारे में भी क्या लिखूं....?....उन्होंने इस लायक छोड़ा ही क्या है...?....सावन शुरू हो गया है....हर साल की तरह कांवरिये निकल पड़े हैं,शिव के धाम...कई ज्योतिर्लिंग हैं....पर हम तो अपने घर के पास के मंदिर को ही अपने लिए ज्योतिर्लिंग मान कर पूजा कर रहे हैं...

कौन बनेगा करोड़पति शुरू होने वाला है....ये तो कोई बेवकूफ ही बताएगा क्यूंकि ये तो सभी को पता है....रथयात्रा के बारे में कुछ लिख सकती थी...पर शायद उसे अगले साल ही यहाँ जगह मिले....क्यूंकि अभी कुछ दिनों पहले वो हो चुकी है....कल गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास दो जहाजों की टक्कर हो गई और एक पलट गया...अब उसमे रखे पेट्रोलियम पदार्थ समुद्र के पानी में आ गए...जिससे मछलियाँ मर रही हैं...स्थानीय नगरपालिका ने मुंबईवासियों को मछलियाँ खाने से मना किया है...लेकिन इससे तो मछली बेचनेवालों का रोज़गार ठप्प हो जायेगा...इस बारे में तो मुझे इतना ही पता है...अब पूरी बात न बताओ..तो अच्छा नहीं है...तो...?....अब कुछ और सोचें...?

इतना सोचने पर भी जब वो "कुछ" नहीं मिला तो मैं क्या लिखूं...?...हे भगवान् अब आप ही "कुछ" सुझाओ....देखा आपने इस "कुछ" को खोजना कितना मुश्किल हो रहा है....आखिर ये "कुछ" भी तो "कुछ"है न...ऐसे ही सामने थोड़े आएगा....तलाश जारी है...

इस "कुछ" की तलाश में इतना कुछ लिख जायगा....सोचा ना था....