Wednesday, January 13, 2010

अवतार


अवतार,ये शब्द हमारे जेहन में कई काल्पनिक चित्रों को एक साथ लाकर खड़ा करता है.....काल्पनिक इसलिए लिखा;क्यूंकि जब भी मैं अपने धार्मिक ग्रंथों में उल्लेखित अवतारों के बारे में सुनती या पढ़ती हूँ..तो मन में वास्तविकता और काल्पनिकता का एक द्वंद्व शुरू हो जाता है.........हम सभी कहीं न कहीं इन पर विश्वास भी करते हैं....लेकिन मेरा मन इन पर विश्वास करता है या नहीं...ये कहना मेरे लिए भी मुश्किल है....शायद मैं इन पर विश्वास करती हूँ.....लेकिन पूरी तरह से नहीं...

खैर बात यहाँ अपने धार्मिक ग्रंथों के अवतार की नहीं..."अवतार" फिल्म की कर रही हूँ......फिल्म पूरी तरह से काल्पनिक है.........फिर भी उसमे दिखाए गए दृश्य पूरी तरह से दर्शकों को बांध लेते है...जिस तरह से सभी जीवों और पेड़-पौधों का आपस में संबंध दिखाया गया है.....वो कहीं न कहीं सोचने पर मजबूर करता है कि हम भी तो पेड़-पौधों और जीवों से इस तरह का संबंध रखते है....ये सच है कि हमारा संबंध इतना करीबी नहीं है...लेकिन फिर भी है तो....

फिल्म में दिखाई गई जगह पर जाने और उस जीवन को जीने का मन होने लगता है...लेकिन कुछ ही पलों में जब उस प्राकृतिक दृश्यों को तबाह होते देखना पड़ता है....तो लगता है कि हम जो कुछ धीरे-धीरे प्रकृति के साथ कर रहे है....उसके एक बड़े रूप का सामना करना पड़ रहा है....इस तरह से उस खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य को तबाह होते देख मन में एक अजीब सी टीस उठती है.....थियेटर से निकलते वक़्त मैंने अपने मन में प्रकृति के प्रति एक अनोखा सा जुडाव महसूस किया....

इस तरह से कोई फिल्म मुझे प्रकृति से इस तरह से जोड़ देगी....सोचा ना था....