Tuesday, March 6, 2012

पगोडा


पगोडा...जब से गोराई में पगोडा बना है तब से ही कई बार हमने यहाँ जाने का प्लान बनाया लेकिन कभी जा ही नहीं पाए...पिछले सन्डे हम यहाँ गए...घर से मार्वे तक ऑटो में और वहां से पगोडा तक जेट्टी(छोटा जहाज) में...कुछ २० मिनट लम्बी इस समुद्र यात्रा में मैंने इतनी फोटो खिंची जितनी शायद आधे घंटे की एलिफेंटा जाते समय भी नहीं खिंची थीं....पर ये समय ही कुछ ऐसा था...जब आप पानी में हो और सूर्य भी बिकुल साथ हो तो मेरे भीतर का फोटोग्राफर कीड़ा कुलबुलाने ;लगा और मैंने उसे शांत करने के लिए बहुत सी फोटोस खींचीं....
पगोडा बहुत ही सुन्दर है...यहाँ का हॉल जिसकी गुम्बदनुमा छत,जो कई गुना वर्गाकार होगी...बिना किसी सहारे के खड़ी है...हमें वहां मौजूद कार्यकर्ताओं ने बताया की उस हॉल के अन्दर १०००० लोगों के बैठकर ध्यान लगाने की सुविधा है...यहाँ हर रविवार को सुबह ११ से शाम ४ बजे तक ध्यान का कार्यक्रम होता है...लेकिन इस हॉल में केवल उन्हें ही जाने की अनुमति है जो १० दिन का विपसना का कोर्स कर चुके हों...यहाँ भी विपासना का शिविर चलता है..जिसके लिए यहाँ भी फॉर्म भरा जाता है और dhamma.org में ऑनलाइन फॉर्म भी भरा जा सकता है...हमने यहाँ प्रदर्शनी भी देखी जहाँ फोटोस के साथ ही यहाँ के बारे में सब लिखा है...साथ ही एक विडियो रूम भी है जहाँ १० दिन चलने वाली विपासना के बारे में बताया जाता है...यहाँ आप टीशर्ट,DVD ,खरीदी जा सकतीं हैं...अगर आप यहाँ घुमने आये हैं और पूरा दिन भी यहाँ बिता रहे हैं तो यहाँ एक भोजनालय भी है...जहाँ खाना बहुत ही वाजिब रेट में मिलता है...यहाँ आकर सबको कैसा लगता है मुझे पता नहीं लेकिन मुझे एक शांति मिली....जो कुछ समय के लिए ही सही मेरे साथ थी...

सोने सा चमकने वाला पगोडा मन को ऐसी शांति देगा की मन भी चमक जायेगा सोचा न था....