Monday, August 9, 2010

"कुछ" तो कुछ होता है...

१ महिना होने को आया और मैंने कुछ भी नहीं लिखा....ये कुछ आश्चर्य-सा है.....लेकिन करूँ भी तो क्या...?...कभी कुछ सूझता नहीं...और सूझता तो नेट पास नहीं.....वैसे इन दिनों अपनी "वॉईस-ओवर" ट्रेनिंग में थोड़ी व्यस्त-सी थी....समय तो मिलता है..पर विचार नहीं...अगर मैं कोई प्रोफेशनल लेखिका होती,तो शायद मेरे घर में खाने के लाले पड़ जाते.....लेकिन भगवान् शिव की कृपा से ऐसा है नहीं....मैं तो अब भी अपने प्रोफेशन की तलाश में हूँ...इन दिनों मैं यही सोचती रही कि लिखूं तो क्या॥?

आख़िरकार आज मैंने ठान लिया कि 'कुछ' तो लिखना ही है...अब इस 'कुछ' की तलाश करूँ....देशभर में बारिश हो रही है...बाढ़ आ गई है...बिहार में सुखा पड़ा है...हाँ...इस बारे में लिखा जा सकता है...पर दूसरों के घावों को कुरेदना अच्छा नहीं है...तो अब..?..........हाँ..."कॉमन वेल्थ गेम्स" की तैयारियों में जो धांधली चल रही है....ऑस्ट्रेलिया की कम्पनी को स्पोंसर जुगाड़ने के लिए कमीशन के रूप में मोटी रकम दी जा रही है...जबकि उन्होंने कोई काम ही नहीं किया...विषय तो अच्छा है,लेकिन अब तो इस पर कार्यवाही भी शुरू हो गई...मतलब हम अब भी वहीँ हैं....बिना विषय के....अब मैं क्या करूँ...?

१५ अगस्त आ रहा है....लेकिन हमारे लिए तो वही १४ और वही १५....बस टी.वी. पर परेड देख लेते हैं...अब इस पर क्या लिखें...?.....नयी फिल्मों के बारे में भी क्या लिखूं....?....उन्होंने इस लायक छोड़ा ही क्या है...?....सावन शुरू हो गया है....हर साल की तरह कांवरिये निकल पड़े हैं,शिव के धाम...कई ज्योतिर्लिंग हैं....पर हम तो अपने घर के पास के मंदिर को ही अपने लिए ज्योतिर्लिंग मान कर पूजा कर रहे हैं...

कौन बनेगा करोड़पति शुरू होने वाला है....ये तो कोई बेवकूफ ही बताएगा क्यूंकि ये तो सभी को पता है....रथयात्रा के बारे में कुछ लिख सकती थी...पर शायद उसे अगले साल ही यहाँ जगह मिले....क्यूंकि अभी कुछ दिनों पहले वो हो चुकी है....कल गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास दो जहाजों की टक्कर हो गई और एक पलट गया...अब उसमे रखे पेट्रोलियम पदार्थ समुद्र के पानी में आ गए...जिससे मछलियाँ मर रही हैं...स्थानीय नगरपालिका ने मुंबईवासियों को मछलियाँ खाने से मना किया है...लेकिन इससे तो मछली बेचनेवालों का रोज़गार ठप्प हो जायेगा...इस बारे में तो मुझे इतना ही पता है...अब पूरी बात न बताओ..तो अच्छा नहीं है...तो...?....अब कुछ और सोचें...?

इतना सोचने पर भी जब वो "कुछ" नहीं मिला तो मैं क्या लिखूं...?...हे भगवान् अब आप ही "कुछ" सुझाओ....देखा आपने इस "कुछ" को खोजना कितना मुश्किल हो रहा है....आखिर ये "कुछ" भी तो "कुछ"है न...ऐसे ही सामने थोड़े आएगा....तलाश जारी है...

इस "कुछ" की तलाश में इतना कुछ लिख जायगा....सोचा ना था....

6 comments:

  1. "कुछ" की तलाश में बहुत कुछ लिख डाला, वाह!

    प्रणाम

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  2. कुछ लिखने के लिए बस पहला शब्द लिखा जाता है.. बाकी कुछ तो अपने आप ही लिखा जाता है..

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  3. सबकी एक ’कुछ’ की ही तलाश है.. और उस तलाश मे न जाने कितने ’कुछो’ को हम खुद दरकिनार कर देते है..

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  4. haan main bhi yahi soch rahaa hun....ki bahut kuchh likh diyaa tumne....hai naa....

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  5. लिखने की प्यास बड़ी अजीब शय है. सहराओं में भी पानी के ज़ज़ीरें खोज निकालती है. बहुत उम्दा

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