कल पार्क में बैठी थी की तभी दो महिलाओं में बच्चों की लडाई को लेकर बहस छिड़ गई....एक महिला लड़कियों की माँ थीं और वो दूसरी के लड़के की शिकायत कर रहीं थीं...बाद में पता चला की गलती लड़कियों की ही थी...और उनकी माँ को चुप होना पड़ा...ये बातें मुझे कहीं न कहीं ये बात सोचने पर मजबूर करीं...हम हमेशा लड़कियों को प्रोटेक्ट करने के लिए लड़कों को ही बुरा-भला कहते हैं...ये बातें पहले के जमाने के हिसाब से सहीं भी थीं,लेकिन आज जब लडकियां भी लड़कों की बराबरी कर रहीं हैं...तो उन्होंने हर क्षेत्र में उनकी बराबरी करली है....अब हर समय लड़के ही ग़लत न होकर लडकियां भी ग़लत हो सकतीं हैं...वो ज़माना करीब-करीब जा ही चुका है,जब लड़कियों को लड़कों की गलतियों के लिए लड़कियों को सजा भोगनी पड़तीं थीं...अब कई बार लड़कियों की गलतियों की सजा लड़कों को भी भुगतनी पड़ जाती है....
लेकिन हम भी क्या करें ? लड़कियों पर दया दृष्टि रखने की आदत सी पड़ गई है.....कभी भी किसी मॉल में..या किसी भी ऐसी जगह जाओ जहाँ चेकिंग होती है..मैंने हमेशा लड़कियों की चेकिंग में ढील देते देखा है...डिटेक्टर से निकलने के बाद भी लड़कों की और चेकिंग होती है..लेकिन लड़कियों की नही...उनके बैग और पर्स भी सरसरी निगाहों से ही चेक किए जाते हैं....
कभी किसी लड़की की गाड़ी ख़राब हो तो कई मददगार आ जाते हैं...लेकिन लड़कों की ख़राब गाड़ी को देखकर कोई भूला-भटका ही मदद के लिए पहुँचता है...हमारे सामने कई ऐसे केस भी हैं जिसमे किसी लड़की ने लड़के का झूठा फायदा उठाया....हमारे देश में महिलाओं कि सुरक्षा के लिए बने कानूनों का भी कई बार ग़लत फायदा महिलाओं के द्वारा उठाया गया है....इन बातों का असर सभी महिला जाति पर पड़ता है...
मैं भी एक लड़की हूँ...मुझे लड़कियों से कोई दुश्मनी नही है...मुझे पता है की लडकियां हमेशा ग़लत नही है...लेकिन वो ही सही है ऐसा भी तो नही है न....मेरा यही कहना है..कि जिस वक्त जो सही हो उसका पक्ष लो...कोई भी निर्णय लेने से पहले दोनों पक्षों को समान मानो...चाहे वहाँ लड़का हो या लड़की...एक लड़की होते हुए भी कई स्थानों में पुरुषों के साथ होते भेदभाव के ख़िलाफ़ मैं कभी लिखूंगी.....सोचा ना था....
आपकी बात बिल्कुल ठीक है। लड़कियाँ अपने लड़की होने का फ़ायदा उठाती है। लेकिन, असलियत यही है कि लड़कियों का फ़ायदा दूसरे ज़्यादा उठाते हैं।
ReplyDeleteits always better to look at both genders with the same eye . a child is child but we distinguish them ion our behaviour pattern
ReplyDeleteबहुते प्रताडित हैं...आपकी बात सुनकर पहली बार जरा आराम लगा. आपका साधुवाद.
ReplyDeleteउन्नत दृष्टि के लिये मुबारकवाद
ReplyDeleteऐसा तो कमही होता है ...लड़कियों को आजभी बिन बात यही सुनना पड़ता है ,' लडकी की जात होके ऐसा न करो ,वैसा न करो ..!'
ReplyDeleteबराबरी हुई , फिरभी , समानता नही मिली है अभी महिलायों को ,ये ज़मीनी सत्य है ...!
http://shamasnsmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://lalitlekh.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://fiberart-thelightbyalonelypath.blogspot.com
आप ने लड़कों का दर्द समझा..इसके लिये बहुत बहुत बधाई....
ReplyDelete