Thursday, April 15, 2010

एक गंभीर मुद्दा

कल अपनी सहेली के घर गयी....हम आपस में बातें कर रहे थे...हमारे हाथ से एक पेन गिर गया....उसकी मम्मी घबराकर दौड़ती हुई आई...."क्या हुआ...?...........क्या गिरा......?......चोट तो नहीं लगी...?
"नहीं...आंटी सिर्फ एक पेन ही तो गिरा है...."
आंटी बार-बार आतीं कभी चाय पूछती....कभी नाश्ता.......कभी हम ठीक हैं या नहीं ये देखने आ जाती.....

घर वापस आई....तो शायद आंटी को साथ दिमाग में ही ले आई थी............मैं सोचने लगी की वो ऐसा क्यूँ कर रहीं थी...?
अक्सर देखने में आता है...कि माता-पिता या तो बच्चों पर ज़रूरत से ज्यादा ही ध्यान देते हैं या फिर देते ही नहीं.....कुछ ४० फीसदी ही ऐसे होंगे (मेरी नज़र में) जो बच्चों का उतना ही ध्यान रखते हैं,जितना बच्चों के लिए सही हो.....

माता-पिता का ये ओवर पोजेसिव होना कभी-कभी बच्चों के आत्मविश्वास को डिगा देता है....बच्चे अपने माता-पिता पर इतने निर्भर हो जाते हैं की उन्हें बाहर के लोगों से मिलने में एक अजीब सी झिझक महसूस होने लगती है....ऐसे बच्चों को कई बार उनके उन दोस्तों की जिंदगी ज्यादा अच्छी लगती है...जिनके माता-पिता उनकी किसी भी बात पर ध्यान नहीं देते.......इसके विपरीत जिन बच्चों के माता-पिता उन पर ध्यान नहीं देते...वे अपने उन दोस्तों सी जिंदगी चाहते हैं...जिनके माता-पिता उनकी हर छोटी -बड़ी चीजों का ध्यान रखते हैं.....बच्चे कई बार माता-पिता की ज्यादा देखभाल से टेंशन में आ जाते हैं....तो कभी बिलकुल ध्यान न देने के कारण...

मेरी एक सहेली थी...अनीता......वो चाहे कितना भी अच्छा काम क्यूँ न कर ले उसके घर में कभी उसकी तारीफ नहीं होती थी........जबकि मेरी एक दूसरी सहेली मीना के साथ बिलकुल उल्टा था.... वो अगर खुद पानी लेकर पी ले तो भी उसकी तारीफ दिन भर होती थी........मीना शुरुवात में अपनी तारीफ से खुश होती थी...लेकिन बाद में उसे एक आसान  से काम के लिए तारीफें नहीं सुहाती.....इसलिए उसे अनीता का परिवार अच्छा लगता....लेकिन तारीफों के लिए तरसती अनीता को मीना का परिवार अच्छा लगता.........

कई माता-पिता का बच्चों पर इतना दबाव है कि बच्चा अपनी असफलताओं का सामना करने से पहले ही मौत को गले लगा लेता है...आये दिन न्यूज़ में बच्चों की आत्महत्या की ख़बरें आती रहती हैं.....कुछ माता-पिता अपने बच्चों को स्टार बनाने के सपने बचपन से ही देखने लगते हैं.....पिछले दिनों एक डांस रियलिटी शो के ऑडिशन में कई ३-५ साल की बच्चियों ने छोटे कपडे पहनकर आयटम डांस किये......कुछ शो में भले ही इसे बढ़ावा न दिया गया...लेकिन माता-पिता ने अपने बच्चे को ऐसा करने तो दिया न.....ऐसा करते हुए उन्हें अपने बच्चे की मासूमियत छीनने की ग्लानी नहीं हुई......

ऐसी न जाने कितनी ही बातें हैं;ये विषय इतना छोटा नहीं की इसे किसी एक ब्लॉग की पोस्ट में समां लिया जाये...ये एक बहुत ही विस्तृत मुद्दा है.......शायद कुछ माता-पिता को मेरी ये बातें बुरी लगें....तो वो एक बार स्वयं को केवल उपरोक्त ही नहीं हर संभावित मुद्दों पर जांच लें कि वे ऐसे माता-पिता की श्रेंणी में आते हैं या नहीं....अगर नहीं आते तो बुरा मानने की कोई बात ही नहीं....लेकिन आते हैं'तो बुरा मानने का कोई अधिकार मैं उन्हें नहीं देती........

कुछ दिनों पहले न्यूज़ में देखा.....भगवान् का आशीर्वाद दिलाने के लिए माता-पिता नवजात बच्चों के ऊपर खौलती हुई खीर डलवाने को भी तैयार थे,कभी बच्चों को छत फेंका जाता है,कभी लात से रौंदा जाता है....जो दृश्य हम टी.वी. पर देख नहीं पा रहे थे....वे उनके माता-पिता कैसे देखते है.....बल्कि सिर्फ देखते ही नहीं ऐसा करने के लिए रजामंदी भी देते हैं...कोई भी माँ अपने बच्चों को ऐसे ज़ुल्म सहने के लिए सहर्ष दे देगी....सोचा था...

15 comments:

  1. न केवल विचार बल्कि अपेक्षाओं में भी संतुलन जरूरी है.

    ReplyDelete
  2. kabhi kabhi aisa hota hai...iske liye samajik paristhitiyan bhi jimmedar hain....bechare mata pita kaise chahe ki unka beta daud me peeche rahe...
    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

    ReplyDelete
  3. अच्छी बात कही है। आपकी बातों से सहमत हूं। केयर उतना ही कीजिए जितने की जरूरत हो।

    ReplyDelete
  4. वर्मा जी से सहमत हूं

    ReplyDelete
  5. यह एक सामयिक समस्या रही है..अक्सर माँ-बाप का असंतुलित व्यवाहर बच्चों पर बहुत दूर तक असर डालता है...
    आप ने बहुत विचारणीय पोस्ट लिखी है।

    ReplyDelete
  6. वाकई यह एक बहुत ही विस्तृत मुद्दा है..इस पर क्रमवार विचार करना होगा.

    ReplyDelete
  7. बहुत अच्छा लगा यह आलेख पढ़कर!

    ReplyDelete
  8. chalo ham bhi sochte he is par

    shekhar kumawat

    http://kavyawani.blogspot.com/

    ReplyDelete
  9. सटीक मुद्दा उठाया है...माता पिता को बच्चों के साथ संतुलित व्यवहार करना चाहिए....पर बच्छों पर अपनी अपेक्षाएं लाड कर सच ही बच्चे कि मासूमियत खत्म करने का काम भी माँ - बाप ही करते हैं....विचारणीय पोस्ट

    ReplyDelete
  10. संगीता जी से सहमत हूँ।

    ReplyDelete
  11. हां सचमुच ही ये एक गंभीर समस्या है ,और आपने इसे बहुत ही प्रभावी तरीके से हमारे सामने रखा है । आने वाले समय में ये समस्या और भी बढने वाली है
    अजय कुमार झा

    ReplyDelete
  12. bikul aapse sahmat hoon is mudde par...
    achha likha hai aapne...
    yun hi likhte rahein...
    shekhar
    http://i555.blogspot.com/

    ReplyDelete
  13. am not gud at writing in hindi....but luckily gud at reading it...
    just luved ur blog
    i agree to ur view point 100%

    randomnly landed on ur blog n feeling great respect for u n ur nic blog

    Pratyush Raj
    http://uncensoredrajstory.blogspot.com

    ReplyDelete
  14. नेहा जी,
    आपने बहुत ही गंभीर मुद्दा उठाया है। ऐसे माता-पिता को जो अपने बच्चें के कैरियर को लेकर बहुत ज्यादा सजग रहते हैं उनके बच्चों पर बहुत ज्यादा दबाव होता है जो बहुत सारी मुसीबतों को पैदा करता है।

    आपका ईमेल आईडी न होने के कारण इसी पोस्ट में आपसे एक अनुमति मांग रही हूं कि क्या मैं आपका यह लेख अपनी पत्रिका उदंती.Com में प्रकाशित कर सकती हूं। उदंती वेब पत्रिका के साथ प्रकाशित भी होती है। कृपया आप हमें udanti.com@gmail.com पर मेल करके बताए और हमारी पत्रिका का www.udanti.com अवलोकन करें।
    विश्वास है आपका सहयोग मिलेगा।
    डॉ. रत्ना वर्मा
    संपादक, उदंती.Com

    ReplyDelete