Friday, April 8, 2011

ज़िन्दगी की कहानी

कहानी...अपनी दादी- नानी से बचपन में सुनी है,हम सबने...राजा-रानी की,अच्छे- बुरे लोगों की, सच्चाई की जीत की,मेहनत के फल की.....बचपन से ही इन कहानियों का असर हमारे दिलोदिमाग में होने लगता है और इन कहानियों के साथ ही शुरू होता है...हमारी कहानी का सफ़र...हाँ, सोचकर देखो क्या हम सबकी ज़िन्दगी में एक कहानी नहीं है..कभी अच्छे लोग मिलते हैं...तो कभी बुरे...जैसे कहानी के कैरेक्टर...कभी हम परेशानी में फंस जाते हैं और कोई मदद नहीं मिलती तो हम बिलकुल वैसे ही परेशान हो जाते हैं जैसे कहानी में परी के पंख बंध जाने के बाद वो हो जाती है...

बस बचपन में कहानी ख़त्म होते-होते हमारी आँखें नींद से बोझिल होकर बंद हो जाया करती थी...लेकिन ज़िन्दगी की कहानी हमारी आँखों के बंद होने के बाद ही ख़त्म होगी..

ये ज़िन्दगी की कहानी बचपन में सुनी कहानियों से भी कठिन होगी...सोचा ना था....

4 comments:

  1. सच कहा ,नेहा ,"लेकिन ज़िन्दगी की कहानी हमारी आँखों के बंद होने के बाद ही ख़त्म होगी.."
    कई कहानियाँ साथ-साथ चलती हैं
    सुन्दर लिखा है...

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  2. जिन्दगी की कहानी जिन्दगी के साथ ही ख़त्म होती है !हाउ बैड !

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  3. Story of life goes on and on ....
    it is diverse and complex.
    Nice post !!

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  4. मेरे खयाल से जिन्दगी की कहानी तो तब भी जारी रहती है

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