Thursday, June 4, 2009

याददाश्त बढ़ाने के लिए

आज तक हम सभी ने याददाश्त बढ़ाने के कई नुस्खे सुने हैं...जैसे याद करके दोहराना,लिख कर याद करना...वगेरह,वगेरह....लेकिन मैंने याददाश्त बढ़ाने का एक नया तरीका खोजा है....सीरियल्स;ये सभी सीरियल्स का मजाक उडाने वालों के लिए ख़ास है,क्यूंकि हर चीज से कोई न कोई फायदा तो होता ही है...चाहे वो सीरियल्स ही क्यूँ न हों।

आज कल तो चेनलों की संख्या बड़ी मात्र में बढ़ रही है...याददाश्त बढ़ाने का आधा काम तो इनका नम्बर याद रख कर ही हो जाता है;रहा-सहा काम पूरा करने के लिए सीरियल्स काम में लाये जा सकते हैं,क्यूंकि चेनल्स की संख्या से भी ज्यादा संख्या सीरियलों की है....अगर सभी सीरियल्स के चैनल्स और टाइम ही याद रख सकें.....तो ही आपकी याददास्त की चर्चा की जा सकती है.....अगर इतना न भी हो सके तो इसे छोटे पैमाने पर अपने पसंदीदा सीरियल का चैनल,चैनल नंबर,टाइम याद रख कर शुरुवात कर सकते हैं।

बड़े पैमाने पर सारे केरेक्टर का नाम,उनके आपसी रिश्ते,किसकी कितनी बार शादी हुई,कौन कितनी बार घर छोड़ कर गया,कौन सा केरेक्टर का चेहरा बदलता रहता है,वगेरह...वगेरह...याद रख सकते है.आख़िर सीरियलों की बुराई करने वाले भी तो यही मुद्दे चुनते हैं न?.....ये बात जितनी मज़ाक में ली जा सकती है उतनी ही गंभीर भी हो सकती है....एक बार आजमाने में क्या हर्ज़ है?

वैसे सीरियलों का एक और फायदा भी है...इसके कारण आप को घर का समान व्यवस्थित भी मिलता है,क्यूंकि कोई सीरियल बीच में छोड़ कर जाना न पड़े इसलिए कोई भी चीज किस जगह में रखी है इसकी जानकारी भी तो रखनी पड़ती है,ऐसे फायदे कितनों को होते हैं ये तो पता नही....लेकिन याददाश्त बढ़ाने में सीरियल्स से जरूर मदद मिलेगी.

कभी सीरियल्स के बारे में ऐसा कुछ लिखूंगी.....सोचा ना था....

4 comments:

  1. भाई वाह अच्छी पोस्ट है ...मज़ा आ गया

    वैसे आपको कितने सीरियल्स , समय, चैनल नंबर और करैक्टर का पता है :) :) :)

    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  2. नाम, पात्र, सीरियल सहित करता हूँ अब जाप।
    जो न सोचा था कभी लिख देतीं हैं आप।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

    ReplyDelete
  3. अच्छा व्यंग्य किया आपने इन बेकार के सीरियल्स पर जिनमें घर छोड़कर जाने, बार-बार शादी करने और चेहरा बदलने इत्यादि के इलावा और कुछ भी ऐसा नहीं होता जिससे कुछ सीख मिल सके....

    साभार
    हमसफ़र यादों का.......

    ReplyDelete