कल एक आंटीजी से मिली....वो अपनी बीती हुई जिंदगी की बातें कर रहीं थी,आख़िर में उन्होंने कहा कि"वो वक्त कितना अच्छा था,किसी कि राह देखने कि जरूरत नही होती थी....अपने मन से सारे काम करो,किसी के सहारे कि जरूरत नही होती थी....आज तो एक गिलास पानी के लिए भी किसी को बोलना पड़ता है...सच है जब तक हाँथ-पैर सलामत रहें....तब तक ही जीवन अच्छा रहता है".उनकी बातों ने मुझे भी सोचने पर मजबूर किया कि जब तक हमारे के पास कोई चीज होती है;तब तक हममें उसका मोल नही पता होता.....उस वक्त हम किसी और ही चीज कि तलाश में होते हैं.....जब हम अपने पास मौजूद चीज को भी खो देते हैं...तभी हमें उसका मोल पता चलता है।
हर बच्चा क्या चाहता है?....बड़ा होना,ताकि उसे वो सब करने मिले जो उसके बड़े करते हैं,उसे स्कूल से आज़ादी मिल जाए,इसी तरह कि और भी कई बातें......लेकिन वहीँ एक बड़ा व्यक्ति जो ८-१० घंटे ऑफिस में काम करता है...अपना बचपन वापस पाना चाहता है;ताकि वो अपने बचपन के मज़े ले सके,अपने दोस्तों के साथ खेल सके,घूमफिर सके,अपनी स्कूल लाइफ के मज़े ले सके,वगेरह...वगेरह.लेकिन अफ़सोस ये संभव नही है.......बचपन जब तक साथ था तब तक बड़े होने कि सोचे....बड़े होकर वापस बचपन पाने की.........
ये भी सोचा जा सकता है की बच्चों को बचपन का मज़ा लेना है....ये बात उनकी समझ में नही भी आई,लेकिन बड़ों को तो पता है की,"जान है तो जहाँ है".....फ़िर भी अपने शरीर कि चिंता किए बिना हम रात-दिन काम करते है.....कुछ के लिए ये मजबूरी भी है;लेकिन कुछ का शौक.आज का कमाया पैसा कल काम तभी आएगा जब आप उसे काम में लाने लायक रहें.आज कि ग़लत दिनचर्या कल बिमारियों में बदलती है और आप आज जो कम खा कर पैसे बचाते है,आप उससे कल कुछ अच्छा खाने लायक होंगे इस बात कि क्या उम्मीद है?
कई ऐसे लोग भी हैं जो बिल्कुल भी व्यायाम नही करते....उनके मुताबिक उनका सारे दिन का काम ही उनके लिए व्यायाम है;जबकि ये ग़लत है.......क्यूंकि हर एक को व्यायाम कि जरूरत है.इससे ही आपका शरीर स्वस्थ रहेगा और आपका जीवन भी.मेरी पहचान कि एक आंटी हैं.....वो ख़ुद सर्विस किया करतीं थी,अब उनके बेटे-बहु काम करते हैं.....उनके पास बहुत पैसा है ,लेकिन साथ में कई बीमारियाँ भी......जिसके कारण उन्हें काफी परहेज रखना जरूरी है.वैसे वो अक्सर अपने परहेज को तोड़ती रहतीं हैं.....सबसे छुपा कर;वैसे कई बार ये बात मैंने उनको कही है कि इससे उन्हें ही नुकसान होगा।
मेरा इन सभी बातों को लिखने का केवल यही एक कारण है कि अपने आने वाले कल कि खुशी के लिए आज से ही कोशिश करना सही है,लेकिन इसके साथ ही आज मिलने वाली छोटी-छोटी खुशी का मजा लेना और साथ ही अपने शरीर का ध्यान रखना भी नही भूलना चाहिए.कभी मैं इस तरह की बड़ी-बड़ी बातें करुँगी...सोचा ना था....
आज के जीवन में किसी को भी इतनी महत्वपूर्ण बात सोचने और अपने स्वस्थ शरीर के लिए कुछ करने की फुर्सत नहीं है...और जब समय बीत जाता है तो सिवाय पछतावे और कष्ट के कुछ नहीं बचता.....
ReplyDeleteलिखने के लिए बहुत कुछ है 'उस' समय पर
ReplyDeleteसहमत हूँ। अपने शरीर क ध्यान रखना, स्वयं से प्यार करना अपनों से प्यार करने जैसा है। यदि हम स्वस्थ व प्रसन्न रहेंगे तो हमारी सतान को हमारे बुढापे में कम कष्ट झेलना पड़ेगा और हमें भी।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
aap sabhi ka comments ke liye dhanyawaad
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