Sunday, April 12, 2009

चरण पादुका और जूतम पैजारी

आदिकाल से ही जूते(फूटवेयर)और राजनीति का साथ बना हुआ है,जब श्री राम को चौदह वर्ष का वनवास दिया गया था,तब भरत ने उनकी पादुका(फूट्वेअर) लाकर उसे सिहासन पर बिठाया और श्री राम के वापस आते तक उसी पादुका ने राज किया,बात पादुका रख कर राज करने की नही थी....बात थी ईमानदारी की;लेकिन आज इस कलयुग में ऐसा सोचना भी सम्भव नही.... आज तो कुर्सी के लिए भाई-बहन आपस में दुश्मन बन जातें हैं...तो किसी और की क्या कहें?नेताओं की बातों का ही भरोसा नही किया जा सकता, आज जो सबके सामने कहतें हैं ;कल उससे मुकर जातें है.ऐसे में क्या ये कभी भी भरत कि तरह की मिसाल दे सकतें हैं?......असंभव....जिस तरह से पादुका रख कर राम के प्रतिनिधि बन कर भरत ने उनके वापस आते तक राज चलाया;उसी तरह से नेताओं को भी केवल प्रतिनिधि बन कर राज चलाना है...यही बात उनकी समझ में नही आ रही है ,वो तो राज करना चाहते हैं.अब वो भरत तो हैं नहीं,इसीलिए शायद हमारा जूता(फूट्वेअर) देने का तरीका भी बदल गया...लेकिन उनकी हिम्मत तो देखिये की वो उसे अब भी स्वीकार नहीं कर रहें हैं,बल्कि फेंके हुए जूतों से कुछ इस तरह बच रहे हैं :जिम्मेदारियों से बचना तो कोई इनसे सीखे..वो दिन दूर नहीं जब ओलम्पिक में जूतों से निशाने लगाने या फेंके जूतों से बचने की प्रतियोगिताएं आयोजित होने लगें. और ये दृश्य हम अपने टीवी पर लाइव देखें :अपने देश के होनहार नेताओं को देखते हुए कुछ एक स्वर्ण पदक हमारे हाथ भी लग जाएँ तो क्या आश्चर्य. मगर हमारे यहाँ खेलों में होनेवाली राजनीति और राजनीती में होने वाले खेलों को देखते हुए कुछ भी सम्भव है। वोह दिन दूर नहीं जब प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों को मंदिरों की तरह जूते बाहर खोल कर आने को कहा जाए और जूते चोरों की मौज हो जाए।
हो तो बहुत कुछ सकता है, क्योंकि अक्सर हम वो देखते हैं जो सोचा ना था...।

18 comments:

  1. bhai wah is angle se to kisi ne bhee nahin sochaa hogaa, bahut khoob, pasand aayaa.

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  2. बढिया लिखा आपने।मंदिरो मे प्रेस-कान्फ़्रेंस का तो एस एम एस भी चल पड़ा है।सहमत है आपसे।और हां वर्ड वेरिफ़िकेशन का टैग हटा दें,ताकि कमेण्ट करने मे आसानी होगी॥

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  3. बढिया प्रयास.
    बधाई और शुभकामना.

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  4. Aapkaa shubhkamnayon sahit swagat hai...
    Abhi blog poora nahee padha...padhke comment dene zaroor laut aaungee...!
    Aadar
    Shama

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  5. we;lcome to blogdunia.your presentation is good but the content looks stale so be careful in chiising topics for yr writings.There is nothing in your profile,why are you so shy not to mention unharmful detailsin your blog?If possible write on socio economical topics which every person facing today.
    My best wishes
    dr.bhoopendra

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  6. बहुत सुन्दर आपका ब्लॉग जगत में स्वागत है .......

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  7. जनसेवक शोषण करे जनता को दुत्कार।
    लोक भावना बच सके जूते से सत्कार।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  8. चिटठा जगत में आपका हार्दिक अभिनन्दन ......
    लेखन के लिए शुभकामनाएं ...........

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  9. नेहा, जी
    पिछले दिनों रांचीहल्ला में रजत दा ने भी इसी विषय पर एक लेख लिखा था। वहां जूता फेंकने या नहीं फेंकने पर जूतम-पैजार हो गयी। कृपया उस पोस्ट के कमेंट देखें, शायद आपको मजेदार लगे।

    रांचीहल्ला

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  10. cool
    welcome to blogger's world
    Pawan Mall
    pawankumarmall.blogspot.com

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  11. WAH, kya joota mara hai......yaar, matlab hai ki kya likh mara hai, maza aa gaya.

    ---------------------------------------"VISHAL"

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  12. sundar vichar.

    -------------------------"VISHAL"

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  13. नेहा जी, स्वागत है आपका इस ब्लॉग दुनिया में. आप एकदम बेहतरीन लिखती हो, बस इसी तरह लिखती रहिये.

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  14. are kyaa khoob kahaa aapne.....aandaaje-bayaan aapka acchha laga....sacchi....!!

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  15. achcha likha hai aapney

    kabhi fursat ho to mere blog per bhi aayen aur comment bhi dein

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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