Thursday, April 16, 2009
पद्मश्री:कितना जरूरी
धोनी और भज्जी ने पद्मश्री नही लेने जा कर उसका ही नही बल्कि देश का अपमान किया.ये कहना है न्यूज़ चेनल और देश की जनता का ,लेकिन क्या उन्ही देश वालों और चेनल वालों का ये फ़र्ज़ नही बनता कि वो ऐसे लोगों को ढूंढ कर लायें जो इन पुरस्कार को पाने के लायक है लेकिन पुरस्कार घोषित करने वाली सरकार उनका पता लगाने में असमर्थ हो.मेरे विचार से धोनी और भज्जी का कसूर नही है......शायद उन्हें ये पुरस्कार नही चाहिए होंगे,लेकिन कई ऐसे लोग भी है जिन्हें इस पुरस्कार से आगे बढ़ने और देश के लिए बहुत कुछ करने कि प्रेरणा मिलेगी.....बस ऐसे ही लोगों को ये पुरस्कार दीजिये .हमारे देश में वैसे भी प्रतिभाओं कि कमी नही है....आज हम खेल के साथ-साथ और कई क्षेत्रों में भी दुनिया में भारत का नाम रौशन कर रहे हैं......तो क्यूँ न हम धोनी और भज्जी के इस व्यवहार को अन्यथा ना लेते हुए ,देश में मौजूद छुपी प्रतिभाओं को सामने लाने और प्रोत्साहित करने का प्रयास इन पुरस्कारों के द्वारा करें.इससे कई ऐसे सकारात्मक परिणाम आयंगे,जिनके बारे में कभी...सोचा ना था....
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बात में दम है .....
ReplyDeleteइन खिलाडियों को सर पर भी ये सरकार ही बिठाती है...अब देखिये ना अजलान शाह होकी कप जीतने वालों को तो किसी ने बधाई तक नहीं दी और इन क्रिकेट वालों को बुला बुला कर इनाम बाँट रहे है....!असल में ये सम्मान के हकदार है ही नहीं....
ReplyDeleteवास्तविक समस्या यह है कि सरकार ने चुन-चुनकर अपने समर्थकों को ये पुरस्कार (रेवड़ियाँ) बांटना शुरू कर दिया है। इसलिये जनता में इनका कोई महत्व नहीं रह गया है। आज किसी को 'भारत रत्न' भी मिल जाय तो लोग उसे कोई महत्व नहीं देंगे। इसका पूरा का पूरा दोष सरकार को है। अभी लोग भूले नहीं होंगे कि पद्मश्री इस वर्ष एक ऐसे व्यक्ति को दे दिया गया जिसका कोई अता-पता ही नहीं था; जिसका अस्तित्व ही नहीं था। क्या कहेंगे?
ReplyDeleteहुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं ...........
ReplyDeleteइधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ
ये मेरे ख्वाब की दुनिया नहीं सही, लेकिन
अब आ गया हूं तो दो दिन क़याम करता चलूं
-(बकौल मूल शायर)
ब्लॉग पर आने के लिए और पढने के लिए शुक्रिया ...आशा करता हूँ की आप यूँ ही आती रहेंगी
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