Thursday, April 16, 2009
देश का हाल:एक ख़याल
पछले कुछ दिनों से समाचारों में यही देखने मिल रहा है कि सभी नेता किस तरह अपने विरोधियों के गलतियों को अपने वोटों में भुनाने में जुटे है.सभी ये गिन रहे है कि किस पार्टी के कार्यकाल में कितने आतंकवादी हमले हुए ?कितने आतंकवादी पकड़े गए? कितने छोडे गए ?किन्होने कौन सा कानून लागू किया और किन्होने कौन सा कानून हटाया?एक मुद्दा ये भी है कि कौन सी पार्टी जीत कर विदेशों में जमा भारतीय काला धन वापस लाएगी ?हर तरफ़ आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है.अधिकाँश नेताओं पर तो पहले से ही कोई न कोई केस चल ही रहा था और कई इस चुनाव के प्रचार में संविधान विरोधी भाषाओं का प्रयोग करके ये सम्मान प्राप्त कर चुके हैं.जब एक न्यूज़ चैनल में दो बहुत ही प्रतिष्ठित पार्टी के नेताओं से ये पूछा गया कि क्या वो जीतने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति का साथ लेंगे ,जिसकी कोई अपराधिक पृष्ठभूमि हो ?तब ये दोनों नेता बात को बड़ी सफाई से टालते हुए ये कह कर निकल गए कि ,जब तक किसी का गुनाह सिद्ध न हो जाए तब तक वो बेगुनाह ही होता है.देखा जाए तो शुरुवात से एक दूसरे कि बात से असहमत ये दोनों इस एक बात पर सहमत दिखे.हमारे देश में ही महात्मा गाँधी,लाला लाजपत राय,बाल गंगाधर तिलक,सुभासचंद्र बोस,भगत सिंह,मंगल पांडे,जवाहर लाल नेहरू और इनकी ही तरह कई महान नेता हुए है ,जिन्होंने देश कि रक्षा और आज़ादी के लिए कुर्बानियां दी ,जेल गए,और भी कई दुःख भोग कर देश को आज़ाद कराया.देश का ये हाल होगा उन्होंने कभी...सोचा ना था....
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जब तक पूरे देश की जनता जनार्दन एकजुट होकर जूता नहीं उठाएगी, तब तक यही सब होता रहेगा.
ReplyDeleteप्रिय बन्धु
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा आपका लेखन
आज कल तो लिखने पढने वालो की कमी हो गयी है ,ऐसे समय में ब्लॉग पर लोगों को लिखता-पढता देख बडा सुकून मिलता है लेकिन एक कष्ट है कि ब्लॉगर भी लिखने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं जबकि पढने पर कम .--------
नई कला, नूतन रचनाएँ ,नई सूझ ,नूतन साधन
नये भाव ,नूतन उमंग से , वीर बने रहते नूतन
शुभकामनाये
जय हिंद