Wednesday, April 8, 2009
सोच
जय हो गणेशजी महाराज की,कोई भी काम शुरु करने से पहले गणेशजी का आशीर्वाद ले लेना अच्छा होता है......चलो, ये काम तो हो गया अब आगे की बात करते हैं;जब भी अपको आईडी बनानी हो या ब्लॉग, सबसे ज्यादा टाइम लगता है ये सोचने में की आप नाम क्या रखें? मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ;मैंने काफ़ी सोचा लेकिन कोई अच्छा नाम ही नही सूझा; जो अच्छा लगा वो मिला नही और जो मिला वो पसंद नही आया.अक्सर ऐसा ही होता है जो सोचते हैं वो मिलता नही और जो नही सोचते वही मिलता है;इसीलिए मैंने भी सोचा की सोचने का कोई फायदा नही है(यहाँ विरोधाभास अलंकार है)और मैंने इसी स्थिति में ब्लॉग का नाम भी रख दिया....सोचा न था.....तो भई बात क्लियर हो गई?वैसे देखा जाए तो ये सोचने और मिलने में विरोधाभास हमेशा नही होता,ऐसा भी होता है कि सोची हुई चीज मिल भी जाती है;मैंने कहीं पढ़ा था(वैसे मुझे उस किताब का नाम याद है...पर मैं बताना नही चाहती क्यूंकि मेरा ज्ञान काम नही आ पायेगा फिर......)हाँ...मैंने पढ़ा था की अगर कोई भी व्यक्ति अपनी सोच को अपनी इच्छा के अनुसार बदलने में सफल हो तो वो अपनी मनचाही चीज को आसानी से पा सकता है...फिर वो चाहे एक मनचाहा ईमेल आईडी या जिंदगी में बड़ी सफलता;कोई भी चीज पाना उसके लिए मुश्किल नही....बस उसके मन में वही विचार आयें जिन्हें वो लाना चाहता हो......मेरे ख़्याल सेशाहरुख़ खान ने भी अपनी फ़िल्म में इस बात का समर्थन इस डाइलोग में किया था-'तुम जिस चीज को दिल से पाने की ख्वाहिश करते हो;पूरी कायनात तुम्हे उससे मिलाने की साजिश करती है(डाइलोग में शायद कुछ शब्द इधर-उधर हो गए हों पर भाव वही है)खैर... मेरा प्रयोग तो अभी जारी है...लेकिन आप लोगों को इस बारे मैं आगे भी बताती रहूंगी.
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बढ़िया सोच के साथ ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है . लिखती रहिएगा . शुभकामनाएं
ReplyDeletelagta hai app filme jayda dekhti hai aour parrti kamm hai
ReplyDeleteshahrukh ne jo dailoguee bola tha wo originally Paulo Coelho ke novel the alchemist se uthayi gayi hai......