कल 'विश्व युवा लेखक प्रोत्साहन दिवस’ था.इस दिन अपने आसपास के युवाओं को जो पढने-लिखने में रूचि रखते हैं उन्हें पढाई के अतिरिक्त लेखन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.इस बात से मुझे याद आया किस तरह बचपन में मुझे लेखन के लिए प्रोत्साहित किया गया था,तब मैंने इस बारे में सोचा भी नहीं था..मुझे पता भी नहीं था कि मैं लिख सकती हूँ..या मैं कभी इस तरह लेखन में करियर बना सकती हूँ..पर उस वक़्त अगर मुझे प्रोत्साहन नहीं मिला होता तो शायद मैं कभी जान ही नहीं पाती कि लेखन मेरे जीवन का अंग है,और मैं शायद कुछ न कुछ लिखती तो रहती पर लेखन से वो रिश्ता नहीं बन पता जैसा आज है.
वैसे अगर बात करें ‘विश्व
युवा लेखक प्रोत्साहन दिवस’ की तो
सच बताऊँ तो ऐसा कोई दिवस है इसके बारे में कल ही मुझे पता चला;पर ये एक अच्छी
शुरुवात है,मुझे तो लगता है बचपन से ही लेखन के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.स्कूल
में निबंध लेखन ,कहानी लेखन जैसी प्रतियोगिताएं तो होती हैं पर उनमें सबको भाग
लेने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता. जो रूचि रखता है वही आगे आता है और फिर बाद
में अक्सर अध्यापकों द्वारा ऐसे ही बच्चों को अगली बार खुद चुन लिया जाता है,बाकियों
से पूछा भी नहीं जाता.खैर स्कूल में न सही पर घर में तो लेखन की आदत को प्रोत्साहित
किया जा सकता है.प्रोत्साहन से मतलब ये नहीं है कि उन पर रोज़ लिखने का दवाब हो या
उन्हें कुछ साहित्यिक लिखने के लिए कहा जाए.
वैसे भी आजकल की पढाई को
देखा जाए तो बच्चों और युवाओं के पास समय कम ही बचता है लेकिन अगर उन्हें लेखन के
लिए प्रोत्साहित करना हो तो आप उन्हें एक डायरी लाकर दे सकते हैं जिसमें चाहे वो रोज़
न लिखें पर अपने किसी अच्छे दिन को लिख सकते हैं कि उस दिन में उन्हें क्या अच्छा लगा?किस
बात से उन्हें ख़ुशी मिली? उन्हें बताएं कि वो जो भी लिखना चाहे उसके लिए बड़े-बड़े
शब्दों का चुनाव करने की ज़रूरत नहीं है,वो बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल कर सकते
हैं.शुरुवात में शायद महीने में एक आध दिन ही वो लिखें लेकिन बाद में वो खुद भी
लेखन से जुड़ने लगेंगे और रोज़ डायरी लिखना उनकी आदत बन सकती है. इन दिनों जहाँ आये दिन
कम उम्र बच्चों में तनाव और डिप्रेशन के मामले बढ़ते जा रहे हैं वहां डायरी लेखन कारगर
इलाज हो सकता है क्यूंकि वो अपनी परेशानियों को भी अपनी डायरी में लिख सकते हैं और
ये एक तरीके से किसी को अपनी बात बताने जैसे होता है,जिससे मन हल्का होता है.
ये तो हो गयी लेखन की ओर
भेजने की बात,वहीँ अगर किसी को पहले से ही लेखन में रूचि हो तो आप उन्हें आसपास के
लोगों,घटनाओं या स्कूल घर से सम्बंधित कुछ लिखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं.उनका
एक ब्लॉग बना सकते हैं,जहाँ वो अपने मन चाही बाते लिखें,आप चाहें तो उनके लेखन को एक
नयी दिशा देने के लिए इन गर्मियों में लेखन से सम्बंधित कुछ कोर्स भी करवा सकते
हैं जैसे कहानी लेखन,स्क्रीनप्ले राइटिंग या उन्हें आप खुद ही अपने किसी दिन को एक
कहानी के रूप में लिखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं,जिसमें वो अपने दोस्तों के
नाम भी शामिल कर सकते हैं,जिससे कहानी रोचक हो जाएगी और दोस्तों के बीच सुनाई जा
सकती है या फिर वो अपने किसी पसंदीदा शिक्षक/शिक्षिका के लिए कहानी लिख सकते हैं,जिसमें
वो उनके पढ़ाने,या बच्चों से व्यवहार के तरीके को एक कहानी के रूप में ढाल सकते हैं
जिसमें वो पहले दिन अपने शिक्षक/शिक्षिका से मिलने से लेकर,उनके अपने फेवरेट बनने
के सफ़र को लिख सकते हैं,ये शिक्षक दिवस पर उनके लिए अच्छा गिफ्ट भी हो सकता है.
लेखन का महत्व हम सभी जानते
हैं,और अगर हम अपने प्रयासों से किसी को भी लेखन की ओर ला सकें खासकर जिन्हें
इसमें रूचि तो हो पर वो लेखन की ओर कदम बढ़ने में हिचकिचा रहे हों,यकीन मानिये ऐसे
बहुत से लोग हैं,क्यूंकि लेखन का नाम आते ही लगता है कुछ बड़ा और अच्छा लिखना है पर
ज़रूरी ये है कि दिल से लिखा जाए. और ये बात उनके आसपास रहने वाले ही उन्हें समझा
सकते हैं और एक बार कलम हाथ में आ जाए तो लेखन की सीमा तय करना मुश्किल होता है.
क्या पता आज आपके द्वारा किया ये छोटा प्रयास कल किसी को सफलता की ऊँचाइयों तक ले
जाए.और आप उनकी कहानी के हीरो बन जाएँ.
लेखन की ओर प्रोत्साहित
करते समय इस बता का ज़रूर ध्यान रखें कि आप लिखने के लिए दबाव न डालें.क्यूंकि ये
बाल मन पर बुरा प्रभाव डाल सकता है,अगर प्रोत्साहन और कोर्स के बाद भी कोई लिखने
में उतनी रूचि नहीं दिखाता या बात डायरी लेखन से आगे न पहुंचे तो निराश न हों. ये
जानने की कोशिश करें की उनकी रूचि किसमें है..क्यूंकि हर व्यक्ति की विशेषताएं अलग
होती हैं,तो वो विशेषता पता करके उस ओर प्रोत्साहित कीजिये.
कुछ सालों पहले तक जहाँ मैं
लेखन से अपने रिश्ते को समझने की कोशिश में लगी थी वहीँ आज लेखन की ओर प्रोत्साहित
करने की ऐसी बात लिखूंगी...सोचा ना था....
बहुत अच्छी जानकारी ...प्रोत्साहन जरुरी है लेखन के लिए....
ReplyDeleteधन्यवाद कविता जी
Deleteलोहड़ी की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल सोमवार (13-04-2015) को "विश्व युवा लेखक प्रोत्साहन दिवस" {चर्चा - 1946} पर भी होगी!
ReplyDelete--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद रूपचन्द्र जी
Deleteबहुत सही कहा आपने
ReplyDeleteप्रोत्साहन जरुरी है लेखन के लिए
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