कल एक परिचित मोबाइल में अपनी कामवाली का मैसेज दिखा रहीं थीं,जो इंग्लिश में था..मैंने कहा "मोबाइल में ऐसी सेटिंग होती है जब फ़ोन ना लगने पर मेसेज अपने आप चला जाता है या हो सकता है आपकी कामवाली पढ़ी-लिखी हो।"
ये बात उन्हें जले पर नमक जैसी लगीवो बिफरकर बोलीं-नहीं..कोई पढ़ी-लिखी नहीं हैं..कब से जानती हूँ उसको..पहले तो ठीक थी अब इंग्लिश बोलती रहती है,काम में कहाँ दिमाग़ लगता है..घर में जो बात होती है कान लगा रहता है..उसका पति बीमार हो गया तो बोलती है CT स्कैन करवाना है..एक हफ़्ते की छुट्टी चाहिए बेटे को रिज़ॉर्ट घुमाने ले जाना है..बताओ आजकल इनको सब पता है..दिनभर whatsapp चलाती है..उनकी शिकायती लिस्ट बढ़ी जा रही थी।
मुझे ये समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें उसके इंग्लिश में बात करने,whatsapp चलाने,बीमार पति के CT स्कैन करवाने या बेटे को रिज़ॉर्ट ले जाने से परेशानी क्या थी?..उसकी ज़िंदगी वो चाहे जैसे जिए..अपनी मेहनत की कमाई चाहे जैसे ख़र्च करे।हो सकता है उनकी काम वाली ज़्यादा पढ़ी लिखी ना हो..पर उसके बारे में सुनकर ही मुझे लगा कि वो आसपास के लोगों से ज़रूर कुछ ना कुछ सीखने की कोशिश करती होगी..और शायद सीख भी रही है..लेकिन उसकी इस आदत से मालकिन ख़ासी परेशान है।
मालकिन को शायद कामवाली ख़ुद से ज़्यादा आगे बढ़ती नज़र आ रही है..पर इसमें दोष किसका है..मालकिन ख़ुद हाउस वाइफ़ बनने का ढोंग करती है,लेकिन अपने घर की कोई सुध नहीं..हाँ..हर सीरियल वाले घर की ख़बर ज़रूर है।कामवाली से महँगा स्मार्ट फ़ोन है उसके पास..पर चलाना नहीं आता..पता नहीं मालकिन को ये सच्चाई स्वीकारने में कितना वक़्त लगेगा की उसकी कामवाली वर्किंग वुमन है,पर इज़्ज़त उसकी उतनी नहीं होती..वो रोज़ तरह-तरह के लोगों से मिलती है और उनसे कुछ सीखती है तभी तो आज स्मार्ट फ़ोन भी संभालती है और कई लोगों के घर भी.
इस मालकिन की तरह के लोग दूसरों को पीछे रखने की चाह में ख़ुद आगे बढ़ना भूल जाते हैं..इन्हें साधन और वक़्त की कमी नहीं है पर आगे बढ़ने की चाह ही नहीं है..ख़ुद को तराशना ही नहीं चाहते..पढ़े-लिखे हैं पर सिर्फ़ इसलिए क्यूँकि किसी ने कह दिया पढ़ना ज़रूरी है..किसी ने ये नहीं कहा कि हर वक़्त बढ़ना भी ज़रूरी है..इसलिए नहीं बढ़ रहे..वहीं रुके हैं..आसपास के लोग इन्हें पीछे छोड़ आगे बढ़ रहे हैं तो पसंद नहीं आ रहा,चाहते हैं वो भी न बढ़ें।
आगे बढ़ने के लिए सिर्फ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए..जैसे ये कामवाली ख़ुद को आगे बढ़ा रही है..अगर आपको आगे बढ़ना है,तो भूल जाइए आप किस तबके से आते हैं..आपकी क्या मजबूरियां हैं..याद रखिए तो बस अपनी मंज़िल और अपना सपना।यकीन मानिए अगर आपमें सीखने की चाह है तो कोई आपको रोक नहीं सकता...छोटी मगर गहरी बात समझना कुछ लोगों के लिए इतना मुश्किल होगा...सोचा ना था....
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-05-2016) को "लगन और मेहनत = सफलता" (चर्चा अंक-2331) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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श्रमिक दिवस की
शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद रूपचंद जी
Delete:) mazedaar! sahi observation.
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteये बात गृहणी या तथाकथित वर्किंग महिला की नहीं ,अपितु मानसिकता की है ......
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आपने निवेदिता जी
Deleteऐसी रुग्ण मानसिकता से ग्रस्त लोग अक्सर पने आस पास दिखाई दे जाते हैं ! बढ़िया पोस्ट !
ReplyDeleteजी साधना जी,आसपास कई ऐसे लोग दिखते हैं,पोस्ट अच्छी लगी उसके लिए आभार
Deleteखुद को अंडरएस्टिमेट ना कीजिये. इस कलम में बहुत धार है. और हैरान कर देने वाली सच्चाई भी. बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteधन्यवाद मुबारक जी
Deleteनेहा जी, बिलकुल सही कहा आपने। सिर्फ पढने से कुछ नहीं होता। आगे बढ़ना चाहिए और उसके लिए खुद को हरवक्त जागरूक रहकर कार्य करना पड़ता है। बढ़िया पोस्ट।
ReplyDeleteनेहा जी, बिलकुल सही कहा आपने। सिर्फ पढने से कुछ नहीं होता। आगे बढ़ना चाहिए और उसके लिए खुद को हरवक्त जागरूक रहकर कार्य करना पड़ता है। बढ़िया पोस्ट।
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