Sunday, April 12, 2015

दशराजन



कुछ दिनों पहले पढ़ी अशोक के. बैंकर की लिखी किताब “दशराजन” ,इस किताब ने कई पहलुओं से प्रभावित किया,जिसमें सबसे पहला है रोचक लेखन,कहानी और पात्र.अशोक के. बैंकर ने बहुत ही ख़ूबसूरती से इस पूरी कहानी को पेश किया है. इस कहानी की सबसे बड़ी खासियत है कि ये हमारे प्राचीन इतिहास का अंश है,ये कहानी ऋगवेद से ली गयी है.

ये कहानी है ३४०० ई. पू. की,जहां एक कबीले के राजा ने अपनी प्रजा और कबीले की रक्षा के लिए अपनी छोटी सी सेना के साथ दस राजाओं और उनकी विशाल सेना का सामना किया था. उस वक़्त कबीले के मुखिया सुदास के पास कोई बाहरी मदद नहीं थी बल्कि उसे एक योजनाबद्ध तरीके से घेरा गया था.अपने पांच नदियों वाले कबीले की रक्षा के लिए सुदास ने हर संभव रणनीति का प्रयोग किया और अपने कबीले की रक्षा की. ये पांच नदियों वाला कबीला आज पंजाब के नाम से जाना जाता है.

केवल एक दिन में सभी आक्रमणकारियों के अंत के साथ ख़त्म हुए इस युद्ध को अशोक के. बैंकर ने बखूबी उतारा है.अघोषित युद्ध,एक साथ आक्रमण और सुदास की रणनीति,उसके सहायकों का साथ,गुरु का साथ से लेकर युद्ध की एक-एक घटना का इतना अच्छा वर्णन है कि आपके सामने पूरा चित्र उतर आता है.नायक सुदास अपने कबीले के हर इंसान यहाँ तक की पशु से भी प्रेम करता है,अपमान की स्थिति में भी संयम बनाये रखता है..शायद यही कारण हो सकता है कि खुद को विशाल शत्रु सेना से घिरा हुआ पाने के बाद भी वो समर्पण की बजाय सामना करने का निर्णय लेता है.

बहुत ही बेहतरीन तरीके से लिखा गया ये उपन्यास आपको बाँधने में सक्षम है और इसे एक बार उठाने के बाद आप पढ़कर ही छोड़ना चाहेंगे.हमारा भारतीय इतिहास ऐसे कई साहसी योद्धाओं और उनकी गाथाओं से भरा पड़ा है,जरुरत है तो बस उन्हें सामने लाने की.इस किताब को एक बार ज़रूर पढना चाहिए.इतिहास होने के बाद भी ये काफी रोचक ढंग से लिखा गया है,शायद कहीं कहीं लेखन ने घटनाओं को पेश करने के लिए कल्पना का भी सहारा लिया हो लेकिन फिर भी ये कहानी वेद में वर्णित है और इस कहानी को पढ़ते हुए आप सुदास जैसे पात्र के लिए मन में गर्व का अनुभव करते हैं.

भारत का इतिहास न जाने ऐसी कितनी कही और कितनी अनकही कहानियों को समेटे खड़ा है...कभी इतिहास के पन्ने से एक ऐसी सच्ची कहानी पढने मिलेगी,जो कल्पना से भी परे होगी...सोचा न था....


8 comments:

  1. समीक्षा से समझ आ रहा अहि की पुस्तक रोचक और पढने लायक है .... मौका मिला तो जरूर पढने का प्रयास रहेगा ... वैसे समीक्षा के साथ आप प्रकाशक का पता भी दे दें तो आसन रहेगा पुस्तक प्रेमियों को ...

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    1. जी दिगंबर जी आगे से ध्यान रखूंगी

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  2. कहां पर मिलेगी ये पुस्तक, पढ़नी है मुझे, क्योंकि हारने वालो में मेरा भी कबीला था

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    1. आपका जीवन इस महागाथा से जुदा है जानकार अच्छा लगा..ये किताब आपको ऑनलाइन मिल सकती है..खरीदने के लिए

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  3. कहां पर मिलेगी ये पुस्तक, पढ़नी है मुझे, क्योंकि हारने वालो में मेरा भी कबीला था

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  4. नहीं पढ़ी है अब तक. पढ़ कर लौटेंगे यहाँ.

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    1. This comment has been removed by the author.

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    2. ज़रूर पढियेगा..और अपने विचार बताइयेगा

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